Saturday, July 28, 2012

धागा

राखी

राखी आ गयी

मै कैसे खरीदूं

पैसे कहाँ से लाऊं

बहुत दिल करता है

तुम्हारी कलाई सजाने को

लेकिन गरीब बहन हूँ

इस धागे को राखी समझ लो

इसमें मेरा प्यार भरा है

दुआएं है तुम्हारे लिए

आशीष है तुम्हारी आयु को

इसे ठुकराना मत भाई

बहुत आस से लाइ हूँ

बांध लेना इसे कलाई पर

जानती हूँ तुम्हे राखी चाहिए

कोशिश करुँगी अगले वर्ष

हर बार यही सोचती हूँ

और हर बार धागा लेकर आ जाती हूँ 

4 comments:

  1. किस्मत वाले हो दोनों धागा ही साही बांधने वाली तो है और बंधवाने वाला है ..............

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  2. ये पवित्र बंधन तो दिलों का होता है रमा... इन अनमोल धागों का कोई मोल तो वैसे भी नहीं रे....

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