घर
हम गरीबो को और क्या चाहिए
बहुत है इतनी जगह जहाँ पांव फैला कर सो सकू
महल भी तो बनना है सुबह मंत्री जी का
अब न सोया तो काम कैसे करूँगा
बस मंत्री जी इसे भी न तुडवा दे
नहीं तो सड़क पर सो जाऊंगा
नींद तो कांटो पर भी आ जाती है
फिर ओरो को क्यों इतनी चीज़े चाहिए
छोडो मुझे नहीं समझ आनेवाला ये सब
गंवार हूँ गरीब हूँ
मेहनत करके पेट भरना जनता हूँ
और कुछ आता नहीं
क्योकि पड़ा लिखा नहीं हूँ मै
,माँ बाप भी तो गरीब थे
शर्म किस बात की मेहनत करने में
कोई चोरी थोड़ी करता हूँ
बस ये खोली न तुडवा दे मंत्री जी |