बिटिया
पापा की बिटिया हूँ
आँखों का तारा हूँ
लेकिन पापा तो डरपोक हैं
मुझे देखते हैं
प्यार करते करते डर जाते हैं
वो नहीं बताते
मै समझ जाती हूँ
मै पापा की बिटिया हूँ
पूछा मैंने पापा से
क्यों डरते हो आप प्यार करते हुए
वो रो पड़े
अब मै डर गयी
बोले मेरी गुडिया
तुझे कैसे भेजूंगा डोली में
ये सोच कर डर जाता हूँ
मैंने पूछा पापा से
क्यों सामने वाली दीदी भी तो गयी हैं
पापा नहीं बता सके
दीदी के साथ क्या हुआ था ससुराल में
मुझे तो बहुत बाद में पता चला
तब से मै भी डर गयी
पापा से प्यार करते अब मै डर जाती हूँ
कैसे जाउंगी पापा को छोड़ के
अगर मुझे भी जला डाला तो
मै तो पापा की बिटिया हूँ
पापा कैसे सहेंगे
हे भगवन
ये सब बंद करवा दो न
सब बिटिया को प्यार दिला दो न
ससुराल में
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koi bhi shabd hi nahi........
ReplyDeleteदिल से आभार उपासना सखी
Deleteबहुत ही सुंदर .... एक एक पंक्तियों ने मन को छू लिया ...
ReplyDeleteहार्दिक आभार संजय जी .....आप का ब्लॉग पर आना और प्रोत्साहित करना ......धन्यवाद ...
DeleteBahut hi sunder rachna ....Dil ko choo gayi
ReplyDeleteधन्यवाद मंजुल सखी .....
DeleteDil baher aaya
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