Sunday, July 1, 2012

पापा की बिटिया

बिटिया

पापा की बिटिया हूँ

आँखों का तारा हूँ

लेकिन पापा तो डरपोक हैं

मुझे देखते हैं

प्यार करते करते डर जाते हैं

वो नहीं बताते

मै समझ जाती हूँ

मै पापा की बिटिया हूँ

पूछा मैंने पापा से

क्यों डरते हो आप प्यार करते हुए

वो रो पड़े

अब मै डर गयी

बोले मेरी गुडिया

तुझे कैसे भेजूंगा डोली में

ये सोच कर डर जाता हूँ

मैंने पूछा पापा से

क्यों सामने वाली दीदी भी तो गयी हैं

पापा नहीं बता सके

दीदी के साथ क्या हुआ था ससुराल में

मुझे तो बहुत बाद में पता चला

तब से मै भी डर गयी

पापा से प्यार करते अब मै डर जाती हूँ

कैसे जाउंगी पापा को छोड़ के

अगर मुझे भी जला डाला तो

मै तो पापा की बिटिया हूँ

पापा कैसे सहेंगे

हे भगवन

ये सब बंद करवा दो न

सब बिटिया को प्यार दिला दो न

ससुराल में


7 comments:

  1. बहुत ही सुंदर .... एक एक पंक्तियों ने मन को छू लिया ...

    ReplyDelete
    Replies
    1. हार्दिक आभार संजय जी .....आप का ब्लॉग पर आना और प्रोत्साहित करना ......धन्यवाद ...

      Delete
  2. Bahut hi sunder rachna ....Dil ko choo gayi

    ReplyDelete