मेरी बिटिया तू बड़ी मत होना
तुझे रोज़ सजाया करूंगी
जो कहेगी वो ला कर दूंगी
लेकिन तू बड़ी मत होना
बड़ी जालिम दुनिया है ये
तू तो फूल सी कोमल है
बहुत भोली है मेरी बिटिया
मेरे पास दहेज नही है
मेरे पास पैसे भी नहीं हैं
कैसे झेलेगी तू इन सब को
ये दहेज के भूखे भेड़िये हैं
ये निगल जाते हैं बहुओ को
इनको बस दहेज चाहिए
बहू नही तिजोरी चाहिए
मैं कहाँ से लाऊंगी इतना
तुझे बस किसी तरह पढ़ा दूंगी
पर दहेज कहाँ से लाऊंगी
नही नही तू बड़ी मत होना बिटिया
मैं झाड़ू कटका सब करूंगी
दिन रात मजदूरी करूंगी
तू जितना कहेगी मैं पढ़ाऊगी
पर दहेज कहाँ से लाऊंगी मैं
एक बार दे दूंगी तो आदत हो जाएगी
रोज रोज मांगेगे वो कुछ
शेर के मुंह खून नहीं लगाऊंगी
तू जो कहेगी वो बनाऊंगी
मेहनत से कभी जी नही चुराऊंगी
पर दहेज कहाँ से लाऊंगी मैं
नहीं शेर के मुँह खून नही लगाऊंगी
अपनी माँ का कहना मानना
कभी बड़ी मत होना बिटिया
मैं अनपड़ इन भेड़ियों से
लड़ नही पाऊंगी हार जाऊंगी
मैने सब सहा है दहेज का
तुझे सब सहते देख नहीं पाऊंगी
मौत से पहले मर जाऊंगी
तू जितना चाहे पढ़ना
बस बड़ी मत होना बिटिया
No comments:
Post a Comment