Wednesday, May 30, 2012

तू बड़ी मत होना

मेरी बिटिया तू बड़ी मत होना

तुझे रोज़ सजाया करूंगी

जो कहेगी वो ला कर दूंगी

लेकिन तू बड़ी मत होना

बड़ी जालिम दुनिया है ये

तू तो फूल सी कोमल है

बहुत भोली है मेरी बिटिया

मेरे पास दहेज नही है

मेरे पास पैसे भी नहीं हैं

कैसे झेलेगी तू इन सब को

ये दहेज के भूखे भेड़िये हैं

ये निगल जाते हैं बहुओ को

इनको बस दहेज चाहिए

बहू नही तिजोरी चाहिए

मैं कहाँ से लाऊंगी इतना

तुझे बस किसी तरह पढ़ा दूंगी

पर दहेज कहाँ से लाऊंगी

नही नही तू बड़ी मत होना बिटिया

मैं झाड़ू कटका सब करूंगी

दिन रात मजदूरी करूंगी

तू जितना कहेगी मैं पढ़ाऊगी

पर दहेज कहाँ से लाऊंगी मैं

एक बार दे दूंगी तो आदत हो जाएगी

रोज रोज मांगेगे वो कुछ

शेर के मुंह खून नहीं लगाऊंगी

तू जो कहेगी वो बनाऊंगी

मेहनत से कभी जी नही चुराऊंगी

पर दहेज कहाँ से लाऊंगी मैं

नहीं शेर के मुँह खून नही लगाऊंगी

अपनी माँ का कहना मानना

कभी बड़ी मत होना बिटिया

मैं अनपड़ इन भेड़ियों से

लड़ नही पाऊंगी हार जाऊंगी

मैने सब सहा है दहेज का

तुझे सब सहते देख नहीं पाऊंगी

मौत से पहले मर जाऊंगी

तू जितना चाहे पढ़ना

बस बड़ी मत होना बिटिया

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